दृष्टा: ब्रह्मांड का परम रहस्य और चेतना की उड़ान
प्रस्तावना:
मनुष्य जन्मता है, जीता है, विचार करता है, प्रेम करता है, रोता है, हंसता है—और अंततः खो जाता है। लेकिन क्या यह सब कुछ मात्र एक नाटक है? क्या कोई "देखने वाला" है—जो इन सभी अनुभवों से परे है?
दृष्टा: चेतना, अनुभव, आधुनिक विज्ञान और शाश्वत अस्तित्व
🔱 अद्वैत वेदांत कहता है:
"साक्षी चेतनः निर्विकारः।" (साक्षी, चेतन है और विकार रहित है।)
यह दर्शन, ऋषियों की प्राचीन खोज और आधुनिक वैज्ञानिकों की नवीनतम सोच हमें यह बताती है कि सभी अनुभवों का अनुभवकर्ता एक ही है, और वह स्वयं सभी अनुभवों से परे है।
💠 वह दृष्टा है?
💠 वह मौन है?
💠 वह अचल है?
💠 वह शून्य होते हुए भी पूर्ण है?
💠 वह विज्ञान से परे है और विज्ञान उसी में जन्म लेता है।
चलिए, इस रहस्य की गहराई में उतरते हैं।